सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२,
सतगुरु-चरणों में पूरणं-समर्पण कर,हो जा भव-पार रे-२,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२
लख-चौरासी,,लख-चौरासी भटक-भटक कर,यह मानव-तन पाया है-२,
काम-क्रोध-मद-२,लोभ में पड़कर,इसकों व्यर्थ गंवाया है-२,
कर-संत्संग-२, नाम हरि का,जप कर अपना उद्धार रे,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२,
सतगुरु-चरणों में पूरणं-समर्पण कर,हो जा भव-पार रे-२,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२
मानव जन्म-२ प्रीत हरि-गुरु में,बड़ें भाग्य सें मिलतें है-२,
पा सतगुरु की-२ कृपा हृदय में,फूल धर्म कें खिलतें है-२,
धर्मवृति-२बन करम सर्वहित,कर सबका उपकार रे,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२,
सतगुरु-चरणों में पूरणं-समर्पण कर,हो जा भव-पार रे-२,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२
सतगुरु की तू-२,बात मान कर,हरि-चरणों में प्रीत जगा-२,
नारायण-नारायण,नारायण कहकर,भव भय सारें दूर भगा,
राग-द्बेष-२ मद-अंहकार तज,कर लें सबसें प्यार रे,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२,
गुरु-चरणों में पूरणं-समर्पण कर,हो जा भव-पार रे-२,
सतगुरु जैसा परम हितैषी, कोई नहीं संसार में-२
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
तर्ज-कस्मै-वादें प्यार वफा सब,वादें है,
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