तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ
तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ-२,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ-२,
तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ-२,
इक पूरी माँग हुई तों,दूजीं फरियाद लगाई,जब-जब पड़ी जरुरत, मुझें याद तुम्हारी आई-२,
तेरे ही भरोसें दाता,मैं सपनों कें महल बनाऊँ,,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,
तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,
तन पापी,मन मैला हैं, कैसें तुझें यार कहूँ मैं, तू दाता मैं हूँ भिखारी, कैसा व्यवहार करुँ मैं-२,
अपनी औकात में रहकर,चरणों सें भीख उठाऊँ,,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,
तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,
अब तक जों साथ चलें हो,तुम हाथ पकड़ कर मेरा,कल भी एहसास दिलाना,कि मैं साथी हूँ तेरा-२,
दासाँ कहता हैं दाता,तेरा हरपल शुक्रर मनाऊँ,,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,
तेरा कैसें कर्ज चुकाऊँ, कितनें एहसान गिनाऊँ,
तू देकर भूलनें वाला,मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,,
मैं हर पल हाथ फैलाऊँ,,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
Comments
Post a Comment