धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान
धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
भक्ति-प्रेम का पंथ चलाया, ज्ञान का दीपक,मन में जगाया-२,
दिव्य दर्शन कों पाकर इनकें,मन पाता विश्राम,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
परम हितैषी, पर-उपकारी, महिमा गायें,दुनियाँ सारी-२,
अपनी शरणं में लेकर, करतें जीवों का कल्याण,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
मन-मन्दिर में,जों भी बसायें, प्यार वों इनका,हर पल पायें,
मन-मन्दिर में,जों भी बसायें, गुरु किरपा कों, वों हर पल पायें-२,
देवी-देव,और ऋषि-मुनि, सब करतें हैं गुणगान-२,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
दास जायें,इन पर बलिहारी, भक्ति-मुक्ति कें,ये हैं भण्डारी-२,
जन्म-मरणं कें बंधन काटें-२,करतें हैं कल्याण,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
धुरधाम सें आयें धरा पर, देनें भक्ति-दान,मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
मेरे सतगुरु सन्त महान-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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