मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा-२,
कहों कैसें करुँ वर्णन, जों उनका रुप हैं न्यारा-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
मुकुट सिर पर सशोभित है, सजीं माथें पें बिन्दियाँ हैं, सजीं माथें पें बिन्दियाँ हैं-२,
बरसता प्यार नज़रों सें, लुटातें भक्तों पें सारा हैं-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
धीरें सें पर्दा उठता हैं, भक्तों की धड़कन बढ़ती हैं,भक्तों की धड़कन बढ़ती हैं-२,
मधुर मुस्कान अधरों पें,गलें में हार हैं प्यारा-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
खना-खन बज रहें डमरु, सृष्टि कें मालिक विराजें हैं,सृष्टि कें मालिक विराजें हैं-२,
उठा कर हाथ हर लेतें-२,दुख वों सारें भक्तों कें हैं-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
मेरे दाता कें तन पें हैं, सुहाता शवेत-रंग चौलां,सुहाता श्वेत-रंग चौलां-२,
लगातें भोग हलवे का-२,लुटानें प्रेम रंग आयें-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
बैकुंठ कें कुल-मालिक हो, जैसें धरती पें उतरें हो,जैसें धरती पें उतरें हो-२,
जहां में जों भी होता ही-२, इन्हीं का खेल हैं सारा-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
कहों कैसें करुँ वर्णन, जों उनका रुप हैं प्यारा-२,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
मेरे दाता कें आनें सें, हुआ जगमग चमन सारा,,,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
Tarj - Hai Apna Dil to Awara
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