श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम Shri Anandpur Dham, Tirloki Me Uncha Naam
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""इक तेरा नाम है ताकत मेरी,
तेरे नाम से ही बंधी है उम्मीदें मेरी,
अब चाहे कोई भी करे सितम मुझ पर,
तेरा नाम ही करेगा सदा हिफाज़त मेरी,,,
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
जगमगाते ज्ञान के दीपक, रहती सदा खुशहाली हैं-२,
श्री चरणंकमलों में आकर,मिलती खुशीं निराली हैं-२,
पावनं श्री दर्शन पाकर-२,ये मन पावें विश्राम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
श्री परमहँसों के नूरं से,कौना कौना महकता हैं-२,
इनके ही रहमोकरम से,सारा चमन चमकता हैं-२,
इक प्यारं भरी दृष्टि से-२,होते सब पूरणंकाम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
खुशियों कें अंबार लगें, दिल फुलां नहीं समाता हैं-२,
बैंठा इस नगरी कें अन्दर, सर्व सुखोंं का दाता हैं-२,
द्बापर में शयाम बन आये-२,त्रेता कें यही हैं राम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
यही भावना दासनदास की,ऊँची इसकी शान रहें-२,
दिल और जान हमारी, इसपें सदा सदा कुरबान रहें-२
रहें सीस झुकां चरणों में-२,करें सेवा हम निष्काम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
264
तर्ज--दर्पण को देखा,तूनें जब जब किया श्रंगार,
""इक तेरा नाम है ताकत मेरी,
तेरे नाम से ही बंधी है उम्मीदें मेरी,
अब चाहे कोई भी करे सितम मुझ पर,
तेरा नाम ही करेगा सदा हिफाज़त मेरी,,,
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श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
जगमगाते ज्ञान के दीपक, रहती सदा खुशहाली हैं-२,
श्री चरणंकमलों में आकर,मिलती खुशीं निराली हैं-२,
पावनं श्री दर्शन पाकर-२,ये मन पावें विश्राम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
श्री परमहँसों के नूरं से,कौना कौना महकता हैं-२,
इनके ही रहमोकरम से,सारा चमन चमकता हैं-२,
इक प्यारं भरी दृष्टि से-२,होते सब पूरणंकाम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
खुशियों कें अंबार लगें, दिल फुलां नहीं समाता हैं-२,
बैंठा इस नगरी कें अन्दर, सर्व सुखोंं का दाता हैं-२,
द्बापर में शयाम बन आये-२,त्रेता कें यही हैं राम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
यही भावना दासनदास की,ऊँची इसकी शान रहें-२,
दिल और जान हमारी, इसपें सदा सदा कुरबान रहें-२
रहें सीस झुकां चरणों में-२,करें सेवा हम निष्काम-२,
श्री आनंद पुर धाम,त्रिलोकी में ऊँचा नाम-२,
यहाँ पाँच नियम की ज्योति-२,जगती हैं सुबहों-शाम,श्री-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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तर्ज--दर्पण को देखा,तूनें जब जब किया श्रंगार,
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