अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी Amrit Peelo Premi , Milda Guru Darbar Ji
तुम्हें दिल में रखेंगे, अपनी पलकों में छुपा लेंगे,
तुम्हें खुशबू समझ कर अपनी सांसों में बसा लेंगे,
मोहब्बत की कसम तकदीर का मुख मोड़ देंगे, हम,
अगर तुम मिल जाओ मेरे प्रभु जमाना छोड़ देंगे हम
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अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
मानुष-जन्म अमोलक हीरा,मिलें ना बारम्बार जी-२
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
पहला अमृत इस दुनियाँ में,सत्पुरुषों का दर्शन-२,
सत्पुरुषों कें दर्शन सें होता,मन उज्जवल दर्पण-२,
पाप सब धुल जातें हैं,अनुभव खुल जातें हैं-२,
सत्पुरुषों कें दर्शन सें-२,होता प्रभु का दीदार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
दूसरा अमृत इस दुनियाँ में,साधु-सन्त समागम-२,
सन्त-समागम वहाँ,जहाँ हैं,नाम की चर्चा पावनं-२,
नाम सुख की फुलवाड़ी,नाम सचखंड की गाड़ी-२,
देतें सन्त दुहाई-२,प्रेमी हो जाओं असवार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
तीसरा अमृत इस दुनियाँ में,परमार्थ और सेवा-२,
सेवा सें ही मिलति प्रेमी,चार पदारथ मेवा-२,
चौरासी कट जाती हैं,ये माया हट जाती हैं-२,
सेवा की महिमा का-२,प्रेमी,अन्त ना पारावार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
चौथां अमृत इस दुनियाँ में,सत्पुरुषों की वाणी-२,
सत्पुरुषों की वाणी सुनकर,तरं गये लाखों प्राणी-२,
अन्तर-पुट खुल जावें सारे,सुरित गगन समावें-२,
सत्पुरुषों की वाणी-२,खोले भक्ति भरें भण्डार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
पाँचवा अमृत इस दुनियाँ में,नित की आरती-पूजा-२,
समय आरती-पूजा कें,कोई काम ना सुझें दूजा-२,
प्रेम सें आरती गानें सें,मन में आनंद समाये-२,
आरती-पूजा खोलें-२,प्रेमी,बन्द हृदय कें द्ववार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
एक वो अमृत,सागर-मन्थन सें,जो बाहर आये-२,
एक वो अमृत,जिसें चन्द्रमा,धरती पर बरसाये-२,
मगर ये अमृत न्यारा,पिलावें सतगुरु प्यारा-२,
भर-भर जाम पिलावें-२,श्री आनंदपुर दरबार जी-२,
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
मानुष-जन्म अमोलक हीरा,मिलें ना बारम्बार जी-२
अमृत पीलो प्रेमी,अमृत मिलदा गुरु-दरबार जी-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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