तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ Tu Jinhe Marzi Dukh Dele Dukh Shen Di Aadat


तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,
बेदर्दा तैनूँ कि कहणां-२,चुप रहणं दी आदत पै गई ऐ-२,

साड़ें चेहरे उत्तें लिखियाँ नें,साढे़ं दिल तें जो-जो बीतियाँ नें,
असाँ भुलना चाहें,भुलदें नहीं,मेरे नाल जो-जो तू कीतियाँ नें,मेरे नाल जो-जो तू कीतियाँ नें-२,
सानूँ मन्दड़ा बोलया माफ करीं-२,सच कहणं दी आदत पै गई ऐ-२,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,

असीं कल्लें हाँ ते कि होया,ते खुश-वस नाल रखीं पा दें,
सानूँ तेरे उत्तें दोष नहीं,असीं माडेयां यार नसीबां दें,
असीं माडेयां यार नसीबां दें-२,
सानूँ मेलें चंगें लगदें नहीं-२,वखं रहणं दी आदत पै गई ऐ-२,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,

साढे़ं हिस्से विच ताँ आईयाँ नें,सोचां तें ना-कामियाँ नें,
कि करिये साड़ें लेखें विच,रुसवाईयाँ ते बदनामियाँ नें,रुसवाईयाँ ते बदनामियाँ नें-२,
असाँ बन गये कन्दाँ रेत दीयाँ-२,सानूँ ढहनं दी आदत पै गई ऐ-२,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,

तेरे दिल दीयाँ यारां तू जाणें,साढे़ं दिल विच सूरत तेरी ऐ,
तू जिन्हाँ चिरं साडे़ं नाल रहवें,सानूँ ओहनी उमर बतेरी ऐ,सानूँ ओहनी उमर बतेरी ऐ-२,
सानूँ मेलें चंगें लगदें नहीं-२,वखं रहणं दी आदत पै गई ऐ-२,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,

बृजराज सें नाता जुड़ा जब हैं,तों कया जग की परवाह करें,
बस याद में उनकी रोतें रहें,निरन्तर अश्रु परवाह करें,
जितनें दूर भगें वो हमसें,उतनी दुनी हम चाह करें,
कया अदभुत दुख इस प्रेम में हैं,हम आह करें,वो वाह करें,हम आह करें,वो वाह करें-२,
ऐ रोणां-धोणां,दर्द ते गम,साढे़ं सजणां रोग पुराने नें,
तू सजणां भावें भुल्लं जावें,असाँ कीतें कौल निभाणें नें,
सानूँ गम दीयाँ यादाँ नाल सजणं-२,नित रहणं दी आदत पै गई ऐ,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,
बेदर्दा तैनूँ कि कहणां-२,चुप रहणं दी आदत पै गई ऐ-२,
तू जिन्हें मर्जी दुख दे लै,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,दुख सहन दी आदत पै गई ऐ-२,

बोल बाँकेबिहारी लाल की सदा ही जय
बोल नन्द कें गोपाल की सदा ही जय
बोल राधावर कृष्णचन्द्र की सदा ही जय

बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय


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