जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद Jai Jai Guru Ki Bulaoge To Paoge Anand
जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद-२,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
जो भी गुरुमुख श्री सतगुरु कीं,जै-जैकार बुलातें हैं-२,
जय-जय करतें-करतें हीं वों,परमधाम कों जातें हैं-२,
छू नहीं पातें उनकों भक्तों-२,यमदूतों कें दण्डं,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद-२,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
शुभ-कर्मों सें तूनें बन्दें,मानव जन्म ये पाया हैं-२,
सोने पें फिर हुआ सुहागा,सतगुरु नें अपनाया हैं-२,
करलें गुरां दीं भजन-बन्दगीं-२, कह गये साहिब-सन्त,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद-२,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
कलयुग में श्री सतगुरु जी,सन्त-रुपं में आयें हैं-२,
निज-रुहों कों तारणं-खातिर, नाम जहाज बनायें हैं-२,
नाम जपों और पार उतर लों-२,और पा लों परमानंद,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद-२,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
प्रेमी श्री सतगुरु कीं जय-जय,करतें हीं तरं जातें हैं-२,
सेवा और भक्ति में अपने, धन-धन भागं मनातें हैं-२,
दासों पर भी रखना सतगुरु-२,अपनी मेंहरं नज़र,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
जय -जय गुरां कीं बुलांओगें,तों पाओगें आनंद-२,
बोलो जय सचिदानंद,बोलो जय सचिदानंद,-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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