आया हैं जग अन्दर ताँ,कर्म कमा लै, Aaya Hai Jagg Andarr Tan, Karam Kamaa Lee
आया हैं जग अन्दर ताँ,कर्म कमा लै,
सतगुरु चरणां विच, अपनी प्रीत लगा लै,
झूठी दुनियाँ विच तेरा,कोई नहीं अपना,
जो कुछ वी तकदां ऐ,एह तां झूठा सपना,
बन जा सतगुरु दा तू,अपने आप नूँ मिटा लै,
सतगुरु चरणां विच, अपनी प्रीत लगा लै,
झूठें सम्बन्धी तेरा संग ना निभाणंगें,
अन्त समय एह तेरे कम नहीं आणंगें,
जीन्दयां जी अपने नूँ,इन्हाँ तों छुड़ा लै,
सतगुरु चरणां विच, अपनी प्रीत लगा लै,
स्वारथ दी दुनियाँ अन्दर, तेरा कोई मीत नहीं,
बिन मतलब तैनूं करदा,कोई वी प्रीत नहीं,
कर लै भक्ति तू,अपने भाग नूँ जगा लै,
सतगुरु चरणां विच, अपनी प्रीत लगा लै,
बन जा दीवाना सच्चे,सतगुरु दे प्यार दा,
प्रेमी सतगुरु दा किसे,तरहाँ नहीं हारदा,
"दासनदासाँ" विच अपणां,नाम तू लिखा लै,
सतगुरु चरणां विच, अपनी प्रीत लगा लै,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
तर्ज--यशोमति मैय्या से
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