आनंदपुर में इक जोगी हैं , वो जोगी कैसां लगता हैं, Anandpur me ek jogi hai , vo Jogi kesa lagta hai


आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,
वो जोगी कैसां लगता हैं, मेरे सतगुरु जैसां लगता हैं-२,आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,

चिटटा चौलां, सिर पें रुमाला सजता हैं-२,
गलें में वों,फूलों की माला रखता हैं-२,
उसकां तों रुप बड़ा प्यारां हैं,वो मेरा हारांवाला हैं-२,
इन फूलों कें हारों का कया कहना,ये मेरे सतगुरु का गहनां-२,
आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,
वो जोगी कैसां लगता हैं, मेरे सतगुरु जैसां लगता हैं-२,आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,

मुस्कान सुचें मोती जैसीं लगती हैं-२,
नूरीं आँखों में ज्योति-जोतं चमकतीं हैं-२,
इस नूरीं रुप पें जाऊँ वारीं,ये सारी सृष्टि का हैं वालीं-२,
इस सृष्टि कें भाग जगायें हैं, इसलिए प्रभु धरतीं पें आयें हैं-२,
आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,
वो जोगी कैसां लगता हैं, मेरे सतगुरु जैसां लगता हैं-२,आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,

जब अमृत बर्षा करतें, मेरे सतगुरु जी-२,
फिर चाहती सारी संगत,मिलकें खुशहाली-२,
इन वचनों की कया महिमा हैं, ये मेरे सतगुरु की रचना हैं-२,
इन वचनों पें अमल जों करता हैं, वों भवसागर सें तरता हैं-२,
आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,
वो जोगी कैसां लगता हैं, मेरे सतगुरु जैसां लगता हैं-२,आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,

इन दासों कों,भक्ति सें भरपूर करों-२,
जीवन कें सारें दुख-दर्दो कों दूर करों-२,
इस भक्ति सें मिलती हैं मुक्ति,चौरासीं कों ये हैं कटती-२,
भवसागर पार लगाते हैं, इसलिए प्रभु धरतीं पें आतें हैं-२,
आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,
वो जोगी कैसां लगता हैं, मेरे सतगुरु जैसां लगता हैं-२,आनंदपुर में इक जोगी हैं-२,

बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय

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