लिये जा गुरु का नाम,लिये जा
लिये जा गुरु का नाम,लिये जा,
अमृत-रस घुट पिऐ जा-२,
नाम है जीवन दाता, जप-२ नाम तू जिऐं जा-२,
महिमा हैं बड़ी प्यारें, वेदों ने बखानी हैं,
गुरु-शब्द की वो कीमत,किसने पहचानी हैं,
बदलें में तन-प्राणं,दिऐ जा,अमृत-रस-२,
इस नाम को जप-जपकर,लाखों हैं जीवं तरें,
पल भर मे पापी को,पावन गुरु-शब्द करें,
अपने को पावनं किऐ जा,अमृत-रस-२,
जन्मों की मलिनता से आजाद जो होना हैं,
गुरु-शब्द से मन अपना,मल-मलकर धोना हैं,
निर्मल तन-मन किऐ जा,अमृत-रस-२,
गुरु-शब्द से मिल जाये,मालिक से रुह बिछुड़ी,
हृदय में समाँ ले तू,गुरु पूरे की पावनं छवि,
नाम के संग"दास" जिऐ जा,अमृत-रस-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
तर्ज--रुक जा ओ जानेवाली रुक जा
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