सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह
सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
कलयुग में आयें हैं जग को तराने-२,
हम भटकें जीवों को,राह दिखाने-२,
उपकार हैं किये जीवों पे महान जी-२,
ना भुलायें जायेंगे आपके एहसान जी-२,
गुणगान इनके कया गायें जुबां,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
भक्ति मुक्ति के हैं ये भण्डारी-२,
फैली त्रिलोकी में महिमा हैं न्यारीं-२,
बकशतें हैं रात दिन दात नाम की-२,
ना फिक्र हैं कुछ अपने आराम की-२,
सुखों का खज़ाना रहे हैं लुटा,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
रहमतों के ये सागर ये दाता दयाल जी-२
एक झलक में करतें सबकों निहाल जी-२,
जिसनें भी हैं लिया आपका आधार जी-२,
वो सहज ही हो जाये भवसागर पार जी-२,
चुमें कदम उनके मन्जिल सदा,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
दास की बिन्ती हैं आपसे स्वामी-२,
चरणों में तेरे बीतें,मेरी जिन्दगानीं-२,
यूहीं निहारता रहूँ मैं सदा छवि तेरी-२,
आपके दीदार बिन गुजरें ना इक घड़ी-२,
चाहूँ सदा तुझसे तेरी दया,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
सतगुरु जी मेरे हैं शाहों के शाह,कुरबान इनपर दो जहाँ-२,
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