मेरे सतगुरू हज़ूर, तेरा जलवा है नूर Mere Satguru Huzur, Tera Jalwa Hai Noor
{ *●तर्ज़:-* मेरे रश़्के कमर...}
मेरे सतगुरू हज़ूर, तेरा जलवा है नूर,
जबसे देखा है, हमको नशा छा गया!
तेरी नज़र-ए-कर्म जबसे हम पे हुई, तबसे जीने का हमको मज़ा आ गया...
मेरे सतगुरू हज़ूर............
💞1.) तेरी नगरी में जो, इक दफ़ा आ गया
मेरे हारांवाले, वो तेरा हो गया
तेरे दीदार में, छा गईं मस्तियां
चाँद भी सजदा करने, तेरा आ गया!!
तेरी नज़र-ए-कर्म.............
💞2.) कुल जहाँ में दाता, दर्श दिखला रहे
ये खुदा प्रेमियों को हैं अपना रहे
रहमत यूँ मिली, पल-पल यूँ मिली
तेरे धाम में दाता जहाँ पा लिया!!
तेरी नज़र-ए-कर्म............
💞3.) इस दिल में मेरे, सोहणे सतगुरू बसे
अटूट प्रेम की डोर में बँधे,
छाँव हमको मिली, जो तेरे चरणों की
नाम-भक्ति में दिल, झूमे जा रहा!!
तेरी नज़र-ए-कर्म............
💞4.) श्री दरबार की, चौखट जो मिली
श्री परमहंसों की, सेवा जो मिली
खुशियाँ मिल गई, जन्नत मिल गई
दास ने तुझमें, कुल जहाँ पा लिया!!
तेरी नज़र-ए-कर्म..........❤
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