जिस दर मिलती, खुशियाँ आपार हैं- Jis Dar Milti, Khushiyan Aapar Hai



जिस दर मिलती, खुशियाँ आपार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,जी,
बेकरार मन जहाँ पाता करार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,

साक्षात भगवनं,दर्शन देकें-२,भक्तों कें दुख,दूर हैं करते,दूर हैं करते,दूर हैं करते,
जहाँ जाने को मन,करें बार बार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,
जिस दर मिलती, खुशियाँ आपार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,

निशिदिन ज्ञान की गंगा हैं बहती-२,मैले मन को जो उजला करती,उजला करती,उजला करती,
अमृत जैसा जहाँ मिले प्रसाद हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,
जिस दर मिलती, खुशियाँ आपार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,

खुशियाँ ही खुशियाँ, मिले जहाँ हर पल-२,सबका सदा जहाँ, होता हैं मंगल,होता हैं मंगल,होता हैं मंगल,
दास को भी जहाँ मिले, प्यार बेशुमार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,
जिस दर मिलती, खुशियाँ आपार हैं-२,
तेरा दरबार हैं,वो तेरा दरबार हैं-२,

बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय

तर्ज-चुप चुप खड़े हो जरुर कोई बात हैं,

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