शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां Shanti Kunj Vich Mere Sahiba
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
असीं वीं तेरे प्रेम दीवानें,दर तों,अलख जगा बैठें-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
खोल समाधि वेख जरा तू,कि असाँ दा हाल होया-२,
अँखियाँ दें विचों नींर झलकदा,दिल ये जारों-जार होया-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
असीं वीं तेरे प्रेम दीवानें,दर तों,अलख जगा बैठें-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
प्रेम दा पाठ पढ़ा कें दाता,कयों विछोड़ा पाया हैं-२,
मुक-मुक जावें जिन्द-निमाणीं,रोग अपर ना लाया हैं-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
असीं वीं तेरे प्रेम दीवानें,दर तों,अलख जगा बैठें-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
आ जाओं जी,आ जाओं,इक वारीं तें आ जाओं-२,
मैं तपदीं दा,तपया कलेजा,ठण्ड कलेजे पा जाओं-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
असीं वीं तेरे प्रेम दीवानें,दर तों,अलख जगा बैठें-२,
शान्तीं कुंज विच मेरे साहिबां-२,तूसीं समाधियां ला बैठें-२,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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