सतगुरु दी नगरी, अरशां तों उतरी, नकशा वी खूब बनाया Satguru Di Nagri Aarsha To Utrii Naksha Kya Khoob Banaya Hai
🎊सतगुरु दी नगरी, अरशां तों उतरी, नकशा वी खूब बनाया है,सतगुरु दाता मेरा नगरी दा राजा, जिसने ऐ खेड़ रचाया है,नकशा वी खूब बनाया हैं--२,
प्रेम-प्यार दी नगरी अन्दर, प्रेमी आन्दें ने,-२,
सेवा करदे,दर्शन पान्दे,भाग मनान्दें ने,-२,
सतगुरु जी तेरे प्रेम दीवाने,मिलके गान्दे ने,
नगरी तेरी दी शोभा, जाये ना बरनी,
जिसनूँ तू आप सजाया हैं,--नकशा वी--२,
पकीयां-२ चौड़ियाँ सड़कां,इस नगरी अन्दर,-२,
सरोवर दे विचकार बनाया,सोहणा हरिमन्दर-२,
नीं तों लेकै चोटी तक,लाया है संगमरमर,
दोवें समाधियाँ कोलों,शोभा जे देंदा,
ज्यों असमनों चन चुराया हैं,--नकशा वी--२,
अमृत वेले दी शोभा, हरिमन्दर दी न्यारी ऐ,-२,
जित्थें मेरे सतगुरु आयें,करके कार सवारी ऐ-२
फेर आरती-पूजा गाकें संगत,जावे बलहारी ऐ,
सदके मैं जावाँ अपने,सतगुरां तों,
जिन्हाँ ने एह दस्तूर चलाया है,--नकशा वी--२,
तरहाँ-२ दें फलाँ दा भन्ड़ार जित्थें है,-२,
तोता-कोयल-मोरां दी,किलकार जित्थे है,-२,
फुलाँ उते भंवरा दी गुन्जार जित्थे है,
कई तरहाँ उत्थें वगदे फव्वारे,
ओहयो मोती बाग कहाया हैं,--नकशा वी--२,
आनन्दपुर दी धरती दे तां,भाग सवाये ने,-२,
जित्थें मेरे सतगुरु जी ने,डेरे लाये नें,-२,
संगतां दी खातिर इत्थे,कई भवन बनाऐ ने,
'दासनदासाँ' लई सतगुरु मेरे ने,
इस धरती ते स्वर्ग बनाया हैं,--नकशा वी--२,
🎊🎊🎊🎊बोलो जयकारा 🎊🎊🎊🎊🎊
🎊🎊बोल मेरे श्री गुरुमहाराज की जय🎊🎊
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तर्ज--नगरी नगरी द्वारें द्वारें
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