ओ,धुर-दरगाह कें महाराजा,तुम पर बलिहारी जातें हैं
ओ,धुर-दरगाह कें महाराजा,तुम पर बलिहारी जातें हैं,,
तेरे चरणों में जों पल बीतें,हमें याद बहुत वों आतें हैं,,
जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,
हमें पाँच रतन की सतगुरु जी,बक्शीं ऐसीं अनुपम माला,,
जिसकों जपनें सें सहजे ही,खुल जाए किस्मत का ताला,,
भक्ति मार्ग आसान किया-२,,हमें भक्ति रंग में रंग डाला,,
सब भरम-अंदेंशें दूर हुए, घट-घट में फैला उजियाला,,
जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,
हमें सेवा-सुमिरणं में सतगुरु,तुमनें था ऐसा बाँध लिया,,
हम कौन सें युग में जीतें हैं,हमकों ये भी ना याद रहा,,
हम प्रेम की प्यासीं रुहों कें-२,,तुम प्रियतम हो,यह जान लिया,,
सब ओट सहारे छोड कें बस,तुमकों ही अपना मान लिया,,
ओ,धुर-दरगाह कें महाराजा,तुम पर बलिहारी जातें हैं,,
तेरे चरणों में जों पल बीतें,हमें याद बहुत वों आतें हैं,,
जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,जय हो,
बोलो जयकारा
बोल मेरे श्री गुरुमहाराज जी की जय
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