सजा दो घर को गुलशन सा Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa
सजा दो घर को गुलशन सा, मेरे सरकार आये है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी, मेरे सरकार आये है....
1. पखारो इनके चरणों को बहा कर प्रेम की गंगा,
बिषा दो अपनी पलको को मेरे सरकार आये है सजा दो घर को.......
2. उमड़ आई मेरी आंखे देख कर अपने दाता को,
हुई रोशन मेरी गलियां मेरे दिलदार आये है सजा दो घर को.......
"... सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में,
आया दिल को सकून उनके करीब आने में,
मुदत से प्यासी आखियो को मिला आज वो सागर,
भटका था जिसको पाने की खातिर इस ज़माने में...."
3. तुम आकर भी नहीं जाना मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहूँ हर दम यही सबसे मेरे सरकार आये है सजा दो घर को.......
Comments
Post a Comment