राखीं तुमकों बाँधनें आया,सतगुरु दीनदयाल Rakhi Tumko Bandhne Aaye, Satguru Deen Dayal
राखीं तुमकों बाँधनें आया,सतगुरु दीनदयाल-२, मेरे सर पें सदा ही रखना,अपनी दया का हाथ-२, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, प्रीत कें मोती पिरो कें,अरमानों की राखीं सज़ाई-२, पलकों कें धागों सें,(सतगुरु जी)मैनें राखीं बनाई-२, कर-कमल बढ़ा,मेरे स्वामी-२,राखीं करना स्वीकार, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, हर युग में प्रभु,तुमनें हम जीवों की लाज बचाई-२, सचखण्ड छोड़ कें आयें जब,हम पर विपदा आई-२, जीवन डोरी सौपनें अपनी-२,पास तेरे हूँ आया-२, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, जैसें जुड़ें हैं प्रभु जी,आपस में राखीं कें धागें-२, वैसे ही हमें रखना,श्री चरणों सें अपने लगाकें-२, प्रीत का बन्धन दाता-२,कभी टुट ना पाया-२,ओ, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, पुन्नं-भागों सें सतगुरु,दिवस ये प्यारां आया-२, श्री चरणों में भगवनं,राखीं का पर्व मनाया-२, ये दास श्री चरणों में-२,जायें सदा बलिहार-२, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, राखीं तुमकों बाँधनें आया,सतगुरु दीनदयाल-२, मेरे सर पें सदा ही रखना,अपनी दया का हाथ-२, मैं राखीं लेकर आया,हैं रक्षाबंधन आया-२, बो...