शुभ राजतिलक हैं,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें
शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, कणं-कणं में नज़ारा-२,छा गया,अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, मेरे सतगुरु दीनदयाल, करदें सबनूँ मालोमाल, अब मैं इनकीं शान में कया कहूँ, खुद,खुदां दरशं पें-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, अज दिन बड़भागी आया,हैं सबनूँ मस्तं बनाया-२, मस्तीं विच नचदें-गान्दें,खुशियाँ दां आलम छाया-२, अज होणं हैं सबनूँ-२,बधाईयाँ,अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, सतगुरु दें गुणं, कि गावाँ,मैं वारीं-वारीं जावाँ-२, ओ,अंग-संग मेरे रहन्दां,फिर कयों मैं फिर घबरावाँ-२, सबनाँ दें-२,दिलाँ नूँ ,छा गया,अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, मैं कि-कि सिफ्तं सुनावाँ,मेरा पीरं हैं किन्हाँ सोहणां-२, ऐ सत-नाम दां दाता,हैं सोहणां तें मन मोहणां-२, रुहाँ नूँ छुड़ावन आ गया,अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, शुभ राजतिलक हैं-२,आ गया, अज रज-रज भंगड़ें पाईयें-२, मेरे सतगुरु जी दीं महिमा, सारें जग तों हैं न्यारीं, ...